कोरोना वैक्सीन को लेकर एम्स डायरेक्टर ने दी बड़ी जानकारी

कोरोना वैक्सीन को लेकर एम्स डायरेक्टर ने दी बड़ी जानकारी

सेहतराग टीम

देश में कोरोना से बढ़ते संक्रमित मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालांकि इसे रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन इस पूरी तरह काबू पाना किसी भी देश के संभव नहीं हो रहा है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना को रोकने और इलाज के लिए वैक्सीन की खोज करने में जुटे हुए हैं। फ़िलहाल अब देश में माहौल ऐसा है कि अब सभी के दिमाग बस एक यही सवाल है कि आखिर कब तक कोरोना की वैक्सीन बाजार में आएगी। ऐसे में एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक अच्छी खबर दी। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए आश्वस्त किया है कि इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक कोरोना की वैक्सीन आ जायेगी।

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रणदीप गुलेरिया ने देश में बढ़ते कोरोना के मामलों पर कहा कि मामले तो तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका कारण यह है कि हमारे देश की जनसंख्या बहुत अधिक है, लेकिन हमारे लिए खुशी की बात यह है कि हमारे यहां मरीजों के स्वस्थ होने का आंकड़ा दूसरे देशों से बहुत बेहतर है। हमारे देश में रिकवरी रेट बहुत अच्छी है साथ ही मृत्यु दर काफी कम है। देश में मरने वाले लगभग 70 प्रतिशत लोग किसी अन्य बीमारी से भी पीड़ित थे।

उन्होंने आगे बताया कि, भारत में कोरोना वैक्सीन पर 4-5 कंपनियां काम कर रही हैं, ट्रायल भी शुरू हो चुके हैं। इसीलिए उम्मीद के साथ यह कहा जा सकता है कि इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक वैक्सीन आ जाएगी। आपको बता दें पटना के एम्स अस्पताल में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रॉयल शुरू कर दिया गया है।

वहीं जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव रेणु स्वरूप ने भी आज कहा कि जायडस कैडिला द्वारा कोविड-19 के लिए स्वदेश विकसित टीका का मानव पर परीक्षण शुरू करना ‘आत्मनिर्भर भारत' बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जायडस कैडिला ने बुधवार को कहा था कि उसने अपने कोविड-19 टीके के परीक्षण के तहत प्रथम एवं द्वितीय चरण का क्लीनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है. जायकोवी-डी, टीका को जायडस ने विकसित किया है। इसे राष्ट्रीय जैव औषधि अभियान के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग आंशिक रूप से वित्त उपलब्ध कर रहा है।

बयान में कहा गया है कि मानव पर क्लीनिकल परीक्षण के प्रथम एवं दूसरे चरण में टीके के सुरक्षित होने और कारगर होने पर अनुसंधान किया जाएगा। जायकोवी-डी और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवाक्सिन , सिर्फ ऐसे दो टीके हैं जिन्हें मानव पर परीक्षण के लिये औषधि विनियामक संस्था से मंजूरी मिली है।

 

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